Saturday, July 25, 2015
Tuesday, March 12, 2013
Sunday, February 24, 2013
Thursday, January 24, 2013
Monday, January 7, 2013
Friday, December 14, 2012
Monday, September 10, 2012
Rajendra suri ji ||संकट मोचन गुरु गुण स्त्रोत
संकट मोचन गुरु गुण स्त्रोत
मुझ पापी
को तरना , हु अवगुण की खान ।
विनती बारम्बार है
, देना सम्यक ज्ञान
।।
सन्मति
दाता सबके त्राता
,
गुरु
गुण गता बलिहारी
।
चर कहलाता , चरने आता
मन मुद पाता जयकारी ।
असत्य
निवारी , समकित धरी
आनंदकारी उपकारी
।
राजेंद्र सुरिन्दा , हो सुखकंदा
पूनम चंदा
जग हितकरी
जिनगुण रागा, उर में जगा ।
दुःख सब भगा , लख उपकारी ।
कुछ नही लेता बन कर नेता ।
शिक्षा देता , विश्व विहारी ।
जप
- तप करके , समता
धर के
संयम
वर के आतमतारी।
राजेंद्र सुरिन्दा
, हो सुखकंदा
पूनम चंदा जग हितकरी
भावुक ध्यावे , वांछित पावे ,
कमला आवे , बिन उपचारी ।
संकट जावे
, भय मिट जावे
पुत्र खिलाता
, मिल नर-नारी
तन-सुख पावे,
आभय जावे
किन्नर गावे गुरु
उपकारी ।
राजेंद्र सुरिन्दा , हो सुखकंदा
पूनम चंदा
जग हितकरी
स्मरण
करता , नित्य तुम्हारा
कभी
न डरता , वह संसारी ।
अरिमिति बन जावे , जनमन भावे ,
इज्जत पावे , बन व्यवहारी ।
विधा के स्वामी
, अंतर्यामी
जन विश्रामी , मुझ
तरीतारी ।
राजेंद्र सुरिन्दा , हो सुखकंदा
पूनम चंदा
जग हितकरी
केशर माताहारी, दें
तुम्हरी
गुण
मणि जनि , जग हितकारी
जिन शासन के प्रहरी बनके
उन्नति करके
, जीवन तरी ।
सूरी यतीन्द्र , यति पति इन्दा
हर भव फंदा , विन्दति उधारी ।
राजेंद्र सुरिन्दा , हो सुखकंदा
पूनम चंदा
जग हितकरी
विधा
सूरी यतीन्द्र गुरु,
आप महान कृपाल
परम
स्त्रोत पढ़े नित्य
जो , घर - घर मंगल माल
।।
Monday, September 3, 2012
Sunday, September 2, 2012
Saturday, August 25, 2012
nakoda bhairav
जब कोई नहीं आता मेरे दादा आते है ..(2)
मेरे दुःख के दिनों में वो बड़े काम आते है ...(2)
जब कोई नहीं आता मेरे दादा आते है ...(2)
मेरी न्या चलती है ,बतवर नहीं चलती ,
किसी और की अब मुजको ,डरकर नहीं होती ,
में डरता नहीं जग से जब दादा साथ में है ...(2)
मेरे दुःख के दिनों में वोह बड़े काम आते है ...(2)
जो याद करें उनको , दुःख हल्का हो जाये
जो भक्ति करे उनकी , वे उनके हो जाये ,
ये बिन बोले कुछ भी ,पहचान जाते है ..(2)
मेरे दुःख के दिनों में वो बड़े काम आते है ...(2)
ये इतने बड़े होकर सेवक से प्यार करे
अपने भक्तो के दुःख को प्रभु पलभर में दूर करे
सब भक्तो का कहना ,प्रभु मान जाते है ..(2)
मेरे दुःख के दिनों में वो बड़े काम आते है ...(2)
मेरे मन के मंदिर में दादा का वास रहे ,को पास रहे या न रहे , दादा मेरे पास रहे ,मेरे व्याकुल मन को ये जान जाते है ..(2)मेरे दुःख के दिनों में वो बड़े काम आते है ...(2)जब कोई नहीं आता मेरे दादा आते है ...(2)मेरे दुःख के दिनों में वोह बड़े काम आते है ..(2)
Sunday, August 19, 2012
Tuesday, August 14, 2012
Thursday, August 9, 2012
Wednesday, August 8, 2012
jain stavan
[He Karuna Na Karnara
Tari Karuna No Koi Paar Nathi]..(2)
[He Sankat Na Har Nara
Tari Karuna No Koi Paar Nathi]..(2)
He Karuna Na.....Paar Nathi..(2)
[Meh Paapo Karya Che Eva
Hu Toh Bhulyo Tari Seva]..(2)
[Mari Bhulo Ne Bhulnara
Tari Karuna No Koi Paar Nathi]..(2)
[He Karuna Na.....Paar Nathi]..(2)
[Hu Andar Ma Thai Raaji
Khelyo Chu Avdi Baaji]..(2)
[Avdi-Savadi Karnara
Tari Karuna No Koi Paar Nathi]..(2)
He Karuna Na.....Paar Nathi
[He Parama-Krupalu Haala
Meh Pidha Vish Na Pyala]..(2)
[Vish Ne Amruth Karnara
Tari Karuna No Koi Paar Nathi]..(2)
He Karuna Na.....Paar Nathi
[Kadi Joru Kachoru Thai
Tu Toh Mahaveer Sant Kehlaya]..(2)
[Mithi Chaya Je Denara
Tari Karuna No Koi Paar Nathi]..(2)
He Karuna Na.....Paar Nathi
[Mann Jadto Nathi Kinaro,
Maro Kyaati Aave Aaro]..(2)
[Mara Sacha Kevanhara
Tari Karuna No Koi Paar Nathi]..(2)
He Karuna Na.....Paar Nathi
Monday, August 6, 2012
nakoda bhairav bhakti
"आना पड़ेगा भेरू आना पड़ेगा , नाकोडा भेरू दादा आना पड़ेगा
आना पड़ेगा भेरू आना पड़ेगा , भक्तो को दर्शन देखना पड़ेगा,
जैनों को जीने की रह बताई ,धर्म की जग में ज्योति जलाई (2) ।।1।।
तेरे ये बालक तुझको पुकारे , रो रो के दुखड़े कहते है सारे (2) ।।2।।
मेहर करो भेरू एकबार आओ , भक्तो को इतना न तडपाओ (2) ।।3।।
भैरव 'मंडल' चरणों में आया , भैरव भक्ति का रंग जमाया ।।4।।
Thursday, August 2, 2012
NAKODA BHAIRAV
जगमगता तर्लाणु देरासर हो जो ऐ मा मा रा प्रभु जी नी मूरत हो जो
जगमगता तर्लाणु देरासर हो जो ऐ मा मा रा प्रभु जी नी मूरत हो जो
सुन्दर सोहामणि अंगी हो जो
जगमगता तर्लाणु देरासर हो जो ऐ मा मा रा प्रभु जी नी मूरत हो जो ||
अमे अमारा प्रभु जी ने फूलो थी सजावी शु
फूलो न मेल तो अमे कलियों थी सजावी शु
कलियों थी सुन्दर मोगरो हो जो
जगमगता तर्लाणु देरासर हो जो ऐ मा मा रा प्रभु जी नी मूरत हो जो ||
अमे अमारा प्रभु जी ने हेरा थी सजावी शु
हीरा न मेल तो सोना थी सजावी शु
सोना थी रुपानी अंगी हो जो ..
जगमगता तर्लाणु देरासर हो जो ऐ मा मा रा प्रभु जी नी मूरत हो जो ||
अमे अमारा प्रभु जी ने मंदिर में पथरावी सजावी शु
मंदिर न मेल तो अमे हया माँ समावि शु
हया माँ सुन्दर भाव मारा हो जो
जगमगता तर्लाणु देरासर हो जो ऐ मा मा रा प्रभु जी नी मूरत हो जो ||
श्री भैरव प्रार्थना
आओ जी आओ भैरव नाथ ओं नाकोडा वाले ,
तुम हो डुंगरिया वाले , तुम हो घुन्घरिया वाले ।।
मस्तक मुकुट सोहे , कानो में कुंडल सोहे ,।
गले मोतीयन को हार ओं नाकोडा वाले ।।१।।
हाथ खडगधारी , डमरू की शोभा न्यारी ,
चोसठ योगिनी साथ , ओं नाकोडा वाले ।।2।।
अष्ट भुजा को धारी , शत्रु को दो संहारी ,
मेरे तो तुम इक नाथ ,ओ नाकोड़ा वाले ।।3।।
तीरथ नाकोड़ा सोहे ,भव्य जीवो को मोहे ,
दीपे भैरव मनोहार, ओ नाकोड़ा वाले ।।4।।
आओ जी आओ भैरव दरस दिखाओ ,
दुःखडा मिटाओ मेरा नाथ , ओ नाकोड़ा वाले ।।5।।
ध्यान तुम्हारो धारू , काज हमारो सारो ,
श्री संघ के सर पर तेरा हाथ ,ओ नाकोड़ा वाले ।।6।।
चिंता जी चुरो ने स्व भक्तो की आशा जी पुरो ,
अब तो नव निधि करो जी ,ओ नाकोड़ा वाले ।।7।।
नाकोड़ा तीरथ की महिमा भारी , लीला है भैरव की न्यारी
आओ जी आओ भैरव नाथ ओं नाकोडा वाले ,।।8।।
Monday, July 30, 2012
Saturday, July 28, 2012
SUNDAY SPECIAL (NAKODA BHAIRAV)
पार्श्वनाथ भगवान की, मूरत चित् बसाए
भैरव चालीसा लिखू, गाता मन हरसाए
श्री नाकोडा भैरव सुखकारी, गूं गाती है दुनिया सारी
भैरव की महिमा अति भारी, भैरव का नाम जपे नर नारी
जिनवर के है आज्ञाकारी, श्रद्धा रखते संकित धारी
प्रात: उठे जो भेरू ध्याता, रिद्धि सिद्धि सब सम्पद पाता
भेरू नाम जपे जो कोई, उस घर मैं नित् मंगल होई
नाकोडा लाखो नर आवे, श्रद्धा से प्रसाद चडावे
भैरव भैरव आन पुकारे, भक्तो के सब कष्ठ निवारे
भैरव दर्शन शक्तिशाली, दर से कोई न जावे खाली
जो नर निथ उठ तुमको ध्यावे, भूत पास आने नहीं पावे
डाकन छु मंतर होजावे, दुष्ट देव आडे नहीं आवे
मारवाड की दिव्य मणि है, हम सब के तो आप धनि है
कल्पतरु है पर्तिख भेरू, इच्छित देता सब को भेरू
अधि व्याधि सब दोष मिटावे, सुमिरत भेरू शांति पावे
बाहर पर्देसे जावे नर, नाम मंत्र भेरू का लेकर
चोगडिया दूषण मिट जावे, काल राहू सब नाठा जावे
परदेशो मैं नाम कमावे, मन वांछित धन सम्पद पावे
तन मैं साथा मन मैं साथा, जो भेरू को नित्य मनाता
डूंगर वासी काला भैरव, सुख कारक है गोरा भैरव
जो नर भक्ति से गुण गावें, दिव्य रत्न सुख मंगल पावे
श्रद्धा से जो शीश झुकावे, भेरू अमृत रस बरसावे
मिलजुल सब नर फेरे माला, पीते सब अमृत का प्याला
मेघ झरे जो झरते निर्झर, खुशाली चावे धरती पर
अन्न सम्पदा भर भर पावे, चारो और सुकाल बनावे
भेरू है सचा रखवाला, दुश्मन मित्र बनाने वाला
देश देश मैं भेरू गांजे , खूंट खूंट मैं डंका बाजे
है नहीं अपना जिनके कोई, भेरू सहायक उनके होई
नाभि केंद्रे से तुम्हे बुलावे, भेरू झट पट दौड़े आवे
भूके नर की भूक मिटावे, प्यासे नर को निर् पिलावे
इधर उधर अब नहीं भटकना, भेरू के नित पाँव पकड़ना
वंचित सम्पद आन मिलेगी, सुख की कालिया नित्य खिलेगी
भेरू गन खरतर के देवा, सेवा से पाते नर मेवा
किर्तिरत्न की आज्ञा पाते, हुक्म हाजिरी सदा बजाते
ओं ह्रीं भैरव बम बम भैरव, कष्ट निवारक भोला भैरव
नैन मुंध धुन रात लगावे, सपने मैं वो दर्शन पावे
प्रश्नो के उत्तर झट मिलते, रास्ते के कनकट सब मिटते
नाकोडा भेरू नित् ध्यावो, संकट मेटों मंगल पावो
भेरू जपंता मालन माला, बुझ जाती दुखो की ज्वाला
निथ उठ जो चालीसा गावे, धन सुत से घर स्वर्ग बनावे
दोहा
भेरू चालीसा पढ़े मन मैं श्रधा धार
कष्ट कटे महिमा बढे सम्पद होत अपार
जिन कांति सूरी गुरु राज के शिष्य मणिप्रभराय
भैरव के सानिध्य मैं यह चालीसा गाये
भैरव चालीसा लिखू, गाता मन हरसाए
श्री नाकोडा भैरव सुखकारी, गूं गाती है दुनिया सारी
भैरव की महिमा अति भारी, भैरव का नाम जपे नर नारी
जिनवर के है आज्ञाकारी, श्रद्धा रखते संकित धारी
प्रात: उठे जो भेरू ध्याता, रिद्धि सिद्धि सब सम्पद पाता
भेरू नाम जपे जो कोई, उस घर मैं नित् मंगल होई
नाकोडा लाखो नर आवे, श्रद्धा से प्रसाद चडावे
भैरव भैरव आन पुकारे, भक्तो के सब कष्ठ निवारे
भैरव दर्शन शक्तिशाली, दर से कोई न जावे खाली
जो नर निथ उठ तुमको ध्यावे, भूत पास आने नहीं पावे
डाकन छु मंतर होजावे, दुष्ट देव आडे नहीं आवे
मारवाड की दिव्य मणि है, हम सब के तो आप धनि है
कल्पतरु है पर्तिख भेरू, इच्छित देता सब को भेरू
अधि व्याधि सब दोष मिटावे, सुमिरत भेरू शांति पावे
बाहर पर्देसे जावे नर, नाम मंत्र भेरू का लेकर
चोगडिया दूषण मिट जावे, काल राहू सब नाठा जावे
परदेशो मैं नाम कमावे, मन वांछित धन सम्पद पावे
तन मैं साथा मन मैं साथा, जो भेरू को नित्य मनाता
डूंगर वासी काला भैरव, सुख कारक है गोरा भैरव
जो नर भक्ति से गुण गावें, दिव्य रत्न सुख मंगल पावे
श्रद्धा से जो शीश झुकावे, भेरू अमृत रस बरसावे
मिलजुल सब नर फेरे माला, पीते सब अमृत का प्याला
मेघ झरे जो झरते निर्झर, खुशाली चावे धरती पर
अन्न सम्पदा भर भर पावे, चारो और सुकाल बनावे
भेरू है सचा रखवाला, दुश्मन मित्र बनाने वाला
देश देश मैं भेरू गांजे , खूंट खूंट मैं डंका बाजे
है नहीं अपना जिनके कोई, भेरू सहायक उनके होई
नाभि केंद्रे से तुम्हे बुलावे, भेरू झट पट दौड़े आवे
भूके नर की भूक मिटावे, प्यासे नर को निर् पिलावे
इधर उधर अब नहीं भटकना, भेरू के नित पाँव पकड़ना
वंचित सम्पद आन मिलेगी, सुख की कालिया नित्य खिलेगी
भेरू गन खरतर के देवा, सेवा से पाते नर मेवा
किर्तिरत्न की आज्ञा पाते, हुक्म हाजिरी सदा बजाते
ओं ह्रीं भैरव बम बम भैरव, कष्ट निवारक भोला भैरव
नैन मुंध धुन रात लगावे, सपने मैं वो दर्शन पावे
प्रश्नो के उत्तर झट मिलते, रास्ते के कनकट सब मिटते
नाकोडा भेरू नित् ध्यावो, संकट मेटों मंगल पावो
भेरू जपंता मालन माला, बुझ जाती दुखो की ज्वाला
निथ उठ जो चालीसा गावे, धन सुत से घर स्वर्ग बनावे
दोहा
भेरू चालीसा पढ़े मन मैं श्रधा धार
कष्ट कटे महिमा बढे सम्पद होत अपार
जिन कांति सूरी गुरु राज के शिष्य मणिप्रभराय
भैरव के सानिध्य मैं यह चालीसा गाये
Friday, July 27, 2012
JAI GURUDEV
[Jab Koi Nahin Aata Mere Dada Aate Hai]...(2)
[mere dukh ke dino me woh bade kaam aate hai]...(2)
[Jab Koi Nahin Aata Mere Dada Aate Hai]...(2)
meri naiyan chalti hai,batwar nahi chalti,
kisi aur ki ab mujko,darkar nahi hoti,
[mein darta nahi jag se,jab dada saath mein hai]...(2)
[mere dukh ke dino me woh bade kaam aate hai]...(2)
jo yaad karein unko,dukh halka ho jaye
jo bhakti kare unki, ve unke ho jaye,
[ye din bole kuch bhi,pehchan jate hai]...(2)
[mere dukh ke dino me woh bade kaam aate hai]...(2)
ye itne bade hokar inho se pyar kare
apne bhakto ke dukh ko prabhu palbhar me dur kare
[sab bhakto ka kehna,prabhu maan jate hai]...(2)
[mere dukh ke dino me woh bade kaam aate hai]...(2)
mere mann ke mandir me dada ka vaas rahe,
ko paas rahe ya na rahe,dada mere paas rahe,
[mere vyakul mann ko ye jaan jate hai]...(2)
[mere dukh ke dino me woh bade kaam aate hai]...(2)
[jab koi nahi aata mere dada aate hai]...(2)
[mere dukh ke dino me woh bade kaam aate hai]...(2)
Labels:
JAI GURUDEV
Location:
Jaora, Madhya Pradesh, India
Wednesday, July 25, 2012
JAIN STAVAN
Das ni vinanti suni prabhu ae javab didho,
bhakt ne bhagwan banva marg aa kido;
Je rite me sahan karyu jo tu pan sahan kare,
aaj ne aaje bhale tu sthaan tu maru le...
Sadhna karvi nathi bas vaato karvi che,
sadhano ma zindagi barbad karvi che;
Dharma je hote vasyo te, haiye laavi de,
aaj ne aaje bhale tu sthaan tu maru le...
Jad jagat khatar tu jo jeevo tar chode,
sthaan maru pamva toh vyarth tu daude;
Dukhi jeevo ne joine antar ti tu jo rade,
aaj ne aaje bhale tu sthaan tu maru le...
Swapna ma pan paap ti jo tu nahi druje,
dharma ni vaato to pachi kya thi tane suje?
Na mane maane bhale pan maru jo maane,
aaj ne aaje bhale tu sthaan tu maru le...
Dohilo manav janma kyare fari madse,
moksh ne vairagya ni kya vaath sambrase;
Zindagi ni har gadi ma heer laavi de,
aaj ne aaje bhale tu sthaan tu maru le...
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