Monday, September 10, 2012

Rajendra suri ji ||संकट मोचन गुरु गुण स्त्रोत



संकट मोचन गुरु गुण स्त्रोत
मुझ पापी को तरना , हु अवगुण की खान
विनती बारम्बार है , देना सम्यक ज्ञान ।।

सन्मति दाता सबके त्राता ,
गुरु गुण गता बलिहारी

चर कहलाता , चरने आता
मन मुद पाता जयकारी

असत्य निवारी , समकित धरी
आनंदकारी उपकारी

राजेंद्र सुरिन्दा , हो सुखकंदा
पूनम चंदा जग हितकरी

जिनगुण रागा, उर में  जगा
दुःख  सब भगा , लख उपकारी 

कुछ नही लेता बन कर नेता
शिक्षा देता , विश्व  विहारी

जप - तप करके , समता धर के
संयम वर के आतमतारी।

राजेंद्र सुरिन्दा , हो सुखकंदा
पूनम चंदा जग हितकरी

भावुक  ध्यावे , वांछित पावे ,
कमला आवे , बिन उपचारी

संकट जावे , भय मिट जावे
पुत्र खिलाता , मिल नर-नारी

तन-सुख पावे, आभय जावे
किन्नर  गावे गुरु उपकारी

राजेंद्र सुरिन्दा , हो सुखकंदा
पूनम चंदा जग हितकरी

स्मरण करता , नित्य तुम्हारा
कभी डरता , वह संसारी

अरिमिति बन जावे , जनमन भावे ,
इज्जत  पावे , बन व्यवहारी 

विधा  के स्वामी , अंतर्यामी
जन विश्रामी , मुझ तरीतारी

राजेंद्र सुरिन्दा , हो सुखकंदा
पूनम चंदा जग हितकरी

केशर   माताहारी, दें तुम्हरी
गुण मणि जनि , जग हितकारी

                        जिन शासन  के  प्रहरी बनके
उन्नति करके , जीवन तरी

सूरी यतीन्द्र , यति पति  इन्दा
हर भव फंदा , विन्दति उधारी

राजेंद्र सुरिन्दा , हो सुखकंदा
पूनम चंदा जग हितकरी

विधा सूरी यतीन्द्र गुरु, आप महान कृपाल
परम स्त्रोत  पढ़े नित्य जो , घर - घर मंगल माल ।।

 



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